1. उत्तर प्रदेश में नई सरकार 2. रेल बजट 2012-13 3. आम बजट 2012-13
इन तीनों किस चीज को प्रमोट कर रहे हैं? नहीं पता? अजी ‘साइकिल’ को. यूपी में जो सपा की सरकार बनी है, वो साइकिल पर ही चलकर बनी है. रही बात रेल बजट की तो किराया बढ़ चुका है. ऐसे में जेब पर बोझ न बढ़े तो कोशिश कीजिये लांग ड्राइव भी पैडल मार कर कीजिये. और आम बजट! बेहद खास लोगों के लिए है. बजट में ही इशारा किया गया है भइया… अब पेट्रोल के दाम फिर बढ़ेंगे. इसीलिए साइकिल के दाम घटा भी दिये गए हैं. केंद्र सरकार पेट्रोल के दाम तो चुनाव के पहले ही बढ़ा देती मगर राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण ही रूकी हुई थी. यदि विधानसभा चुनाव के पहले पेट्रोल दाम बढ़ते तो राहुल गांधी को कॉमन मैन पहले चरण के चुनाव में ही नमस्ते कर देता. कॉमन मैन साफ कह देता… ‘नाहीं बबुआ नाहीं… जा माई को इलाज करावा… जेतना कइला हमरे बदे, ओही का एहसास अभी डेढ़ साल तक चुकावे के हौ’.
कहने का लब्बोलुआब ये है कि सरकार, चाहे उत्तर प्रदेश की नयी वाली हो या दिल्ली की साढ़े तीन साल पुरानी वाली हो… सभी चाहते हैं कि भारतीय आम आदमी साइकिल की सवारी करे. कार, बाइक, बस और अब ट्रेन में भी सफर ना करे. जिन्हें बहुत ज्यादा जरुरत हो बस वो ही पेट्रोल या डीजल वाली गाडिय़ों पर सवारी करें. हां, ऐसे लोगों को अब 32 रुपये आय वर्ग से ऊपर ही रखा जाएगा. लोग मशीनी गाडिय़ों की सवारी नहीं करेंगे तो कई तरह के फायदे होंगे.
1. रोड एक्सीडेंट में मरने वालों की संख्या घटेगी. 2. देश में पेट्रोल-डीजल की बचत होगी जिससे काफी फायदा होगा 3. लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा. रोज वर्जिश भी हो जाएगी. 4. परिवार का खर्च बचेगा. इससे परिवार में प्रगति आएगी. 5. सड़कें बनवाने व मरम्मत का खर्च बचेगा क्योंकि साइकिल से सड़कें कम घिसेंगी 6. लोग अनावश्यक दूरे रिश्तेदारों के यहां नहीं धमकेंगे क्योंकि साइकिल से जाने से पहले उन्हें कई बार सोचना होगा. 7. साइकिल मरम्मत और पंचर बनाने वालों की संख्या बढऩे से रोजगार के अवसर बढ़ेंगे. 8. बाइक और कार चोरियों के बढ़ते अपराध कम होंगे. जब चलेंगे नहीं तो चोरी क्या खाक होंगे. 9. नई ट्रेनों की मांग कम होगी क्योंकि पैसेजेंर्स घटेंगे. 10. ट्रेनों अपराध घटेगा क्योंकि यात्री कम होंगे तो चोरी, जहरखुरानी कम होगी.
देखिये साहब… यदि आप साइकिल को गरीबों की सवारी मान कर इससे परहेज कराना चाहते हैं तो मतिभ्रम अपने दिमाग से बिलकुल निकाल दें. साइकिल अब गरीबों की सवारी नहीं है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को ही ले लीजिये… साइकिल वाले आज यूपी में बेरोजगारों को हर महीने एक-एक हजार बांटने जा रहे हैं. अल्पसंख्यक लड़कियों को 30 हजार मिलेगा. 10वीं पास विद्यार्थियों को टैबलेट और 12वीं पास विद्यार्थियों को लैपटाप देंगे. साइकिल वालों की हैसियत को आप गलत आंक रहे हैं. इतना तो ‘हाथी’ वाले कभी नहीं सके जितना साइकिल वालों ने जिगरा दिखाया है. ये अलग बात है कि टैबलेट और लैपटाप देंगे मगर बिजली देंगे या नहीं चार्जिंग के लिए.
तो जनता जनार्दन से इस स्टूपिड कॉमन मैन की ये अपील है कि आप भी सीना तान कर ताव से साइकिल की सवारी कीजिये. सरकारें भी यही चाहती है. इससे फायदे ही फायदे हैं और अब तो हैसियत भी अच्छी समझी जाती है. कम से कम यूपी वालों को तो साइकिल पर हल्ला बोल देना ही चाहिए. आप भी चलिये ओर दूसरों से भी कहिये… चल यार पैडल मार…
This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. OK
Read Comments