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पाण्डेय जी. आई मीन.. प्रेम पुजारी पाण्डेय… यही पूरा नाम है उनका. साल के 362 दिन उनके चेहरे पर कलमाड़ी और के. राजा सरीखी मुस्काइल फैली रहती है. बाकी तीन दिन???? यही तो है असली सवाल कि बाकी तीन दिन चेहरे पर क्यों पीवी नरसिम्हा राव की तरह भाव शून्य हो जाता है. तो शुरू करते हैं प्रेम पुजारी की ये खास दास्तां…
हमेशा चहकने वाला मेरा पुराना दोस्त पाण्डेय अर्से बाद मुझे कल ही मिला. चेहरे पर पीवी नरसिम्हा राव की तरह गजब की गंभीरता थी. मेरे हर सवाल का जवाब मानो सोनिया जी की तरह स्क्रीप्ट पढ़-पढ़ कर दे रहा था. मैंने पूछ ही लिया… क्या यार.. आज तू बड़ा गंभीर नजर आ रहा है. पाण्डेय ने कहा, हां यार… वो ‘बेलन टाइट डे’ आ रहा है न!!! अब मेरी बारी थी चौंकने की. मैंने कहा, गधे जरा जीके बढ़ा. बेलन टाइट नहीं, वेलेंटाइन डे आ रहा है. 14 फरवरी को. पाण्डेय ने मुझे ऊपर से नीचे तक यूं देखा मानो इंडिया शक और हैरानी की निगाह से चाइना को देख रहा हो. शायद पाण्डेय के मन भी इंडिया वाले भाव एक क्षण के लिए उठे. अंदर ही अंदर जी किया होगा कि मेरा मुंह तोड़ दे. मगर फिर इंडिया सरीखे शांत भी हो गया. मानो कह रहा हो कि दोबारा ऐसा किया तो ठीक नहीं होगा.
अब बोलने की बारी पाण्डेय की थी, मुझे भारतीय जनता की तरह बेवकूफ समझता है क्या. जिसे पता न हो कि वेलेंटाइन्स और बेलन टाइट में क्या डिफरेंस है. अबे यार, 14 फरवरी को मेरी फैमिली में बेलन टाइट डे ही सेलीब्रेट होता है. वो तुम्हारी भाभी है ना…. अभी से मेरी निगरानी शुरू कर दी है. मैं कहां जा रहा हूं, किससे मिल रहा हूं, फोन का भी रोज तेरी भाभी पोस्टमार्टम करती है. रिसेंट कॉल लिस्ट से लेकर इनबाक्स और सेंड आइटम्स तक चेक किये जाते हैं. अभी से उनका बेलन टाइट है. अब तो खुला कहती है कि यदि मेरे अलावा किसी और के बारे में सोचा भी तो मुझसे बुरा कोई न होगा. मैंने भी कह दिया कि तुमसे बुरा न दुनिया में कोई पैदा हुआ था और न 2012 तक होगा. हां, 2012 में दुनिया बच गयी तो बात अलग है.
मैं मुस्कुराया, कहा, अबे पाण्डेय.. बीवीयों का प्रोफेशन ही यही होता है. शक न करें तो क्या करें. मगर ये वेलेंटाइन्स डे को लेकर ही क्यों इतना हाई एलर्ट है?
पाण्डेय ने गहरी सांस ली और बताया कि तीन साल पहले जब 12 फरवरी को मेरी शादी हुई थी तो मैंने बीवी को सरप्राइज देने की सोची. एक न्यूजपेपर में वेलेंटाइन्स डे का मैसेज अपनी ओर बुक करा दिया. यही गलती हो गयी. अखबार वालों ने मैसेज में मेरी बीवी की जगह किसी और लड़की का नाम पब्लिश कर दिया. मैसेज के नीचे मेरा नाम और मोबाइल नम्बर भी था. न जाने कहां से उन लड़कियों के फोन भी आने शुरू हो गए जो अकेले वेलेंटाइन्स डे के महापर्व को मिस नहीं करना चाहती थीं. ये सब मेरी नयी नवेली बीवी की नॉलेज में हुआ. सरप्राइज देने के चक्कर में उसी साल से मेरे घर में बेलन टाइट पर्व शुरू हुआ. अब ये घर में सालाना उर्स की तरह हो चुका है. 4 फरवरी से ही निगरानी शुरू हो जाती है. 13 की सुबह से ही मुझे नजरबंद कर दिया जाता है. 14 कमुझे अपनी दुकान का शटर बंद रखना पड़ता है क्योंकि घर से निकलने की मनाही है. बीवी चालू है. वो सोचती है कि कहीं मैं किसी के साथ बिलेटेड ही वेलेंटाइन्स डे सेलीब्रेट न कर लूं इसलिए 15 से 20 तक नजरबंदी उसी तरह रहती है जैसे चौराहे पर किसी सिपाही की ड्यूटी. कोई भी लोडेड गाड़ी बिना मुट्ठी से मुट्ठी गरमाए क्रास नहीं कर सकती. सामने से डायनासोर भले गुजर जाए मगर कोई ट्रक, ट्राली या माल ढोने वाला मालदार नहीं निकल सकता.
हुम्ममम! अब मुझे पाण्डेय के दु:ख का एहसास हुआ. मैंने उसे छेड़ते हुए पूछा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि तेरी कोई गर्लफ्रेंड हो.. और तू उससे 14 को न मिल पाने का ज्यादा अफसोस करता हो…
पाण्डेय ने फिर उसी पुराने अंदाज में मुझे देखा और इस बार उसके चेहरे पर फिर वही मुस्काइल थी जो साल के बाकी दिनों में रहती है. बड़ा कमीना है तू… साले जरुर तूने मुझे देखा है इसलिए इतने बेधड़क अंदाज में पूछ रहा है, पाण्डेय ने कहा. मैं हैरान था.. इसका मतलब सचमुच तेरी कोई गर्लफ्रेंड है…. मैंने चौंकते हुए पूछा.
पाण्डेय ने बड़े जोश से बताया कि हां यार, क्यों तेरी नहीं है क्या? मैंने कहा नहीं तो. अब चौंकने की बारी पाण्डेय की थी. उसने कहा, अबे तू किस जमाने की पैदाइश है बे. पूरे 21 साल हो गए इंडिया में वेलेंटाइन्स डे को इंट्रोड्यूज हुए. 1992 से 1994 कबीच इस पर्व को पॉपुलेरिटी मिली. लोगों को कार्ड और गिफ्ट कंपनियों ने चीख-चीख कर बताया कि अब आप लड़की कप्रपोज करने के लिए कन्फ्यूज न हों. पत्रा में साइथ देखने की जरुरत भी नहीं. साल में इसके लिए एक दिन मुकर्रर कर दिया गया है. इस दिन के लिए लड़कियों के दिमाग में भी लड़कों के प्रति सॉफ्ट कार्नर पैदा किया गया है. यानि प्रपोज करने पर वो कुत्ते, हरामी, तेरे घर में मां-बहन नहीं है क्या? जैसे प्राचीन जुमलों का इस्तेमाल नहीं करेंगी. अब वो या तो आई लव यू टू कहेंगी या फिर मासूमियत से कहेंगी सॉरी… आई एम इंगेज्ड या फिर सॉरी आई एम कमिटेड. समझा तू, मैंने भी इस पर्व का फायदा उठाया. शादी से पहले ही हर साल आधा से एक दर्जन को चुन-चुन कर प्रपोज करता गया. जो पटी सो पटी… वरना तू नहीं और सही.. और नहीं तो और सही फार्मूले पर चलता रहा हूं. शादी के पहले का ही बोया हुआ है जो आज मैं साल के 362 दिन मस्त रहता हूं. अब देख मेरे सिर के बाल शहरों की हरियाली की तरह हो चले हैं. इसके बावजूद एक दर्जन से ज्यादा गर्लफ्रेंड्स हैं मेरे पास.
मैं अब बुरी तरह कन्फ्यूज्ड था… मैंने फिर पूछा.. अबे पाण्डेय.. वेलेंटाइन्स डे के 24 घंटे पहले से 24 घंटे बाद तक तू नजरबंद रहता है… घर में बीवी के साथ बेलन टाइट डे मनाता है. तो गर्लफ्रेंड्स के साथ सेलीब्रेट कैसे करता है…
पाण्डेय घनी मूंछों के नीचे से मुस्कुराया… कर दी न बेवकूफों वाली बात.. प्रेम नाम है मेरा.. प्रेम का पुजारी हूं. ये वेलेंटाइन्स डे है न, ये हाथी का दांत है. दिखाने वाला. प्रेम के पुजारी किसी पर्व के मोहताज नहीं होते. वो तो संडे-मंडे भी नहीं देखते. उनके लिए जो मौका ही सबसे बड़ा फैक्टर होता है. मौका मिला तो इश्क फरमा लिया. नहीं मिला तो नये मौके की तलाश. रही बात वेलेंटाइन्स डे सेलीब्रेशन की बात तो ये दिन अब मोहब्बत न करने का दिन हो गया है. कभी पेपर नहीं पढ़ते क्या. मुहब्बत के दुश्मन सड़कों पर घूमते हैं. मुर्गा और मुर्गी ढूढ़ते हैं. ताकि वो उनकी सरे राह पिटाई कर भारतीय संस्कृति की रक्षा कर सकें. इन मुहब्बत के दुश्मनों के पीछे मीडिया वाले घूमते हैं. ताकि वो अपने चैनल या पेपर के लिए मसाला इकठ्ठा कर सकें. अब बता.. क्या भारतीय संस्कृति क्या 14 फरवरी को ही तार-तार होती है. ये जो टीवी चैनल्स पर नंगई बढ़ रही है, वो इन संस्कृति के रक्षकों को नजर नहीं आती. ये जो कान्वेंट स्कूलों के कल्चर ने भारतीय संस्कृति में गहराई से सेंध लगाई है, वो उन्हें नहीं दिखती. इसलिए बेटा 14 फरवरी को छोड़ कभी भी मोहब्बत और इश्क की पूजा कर ले. ये सालाना रेस्ट डे बना ले. खुश रहेगा. मेरा भी ये रेस्ट डे बन चुका है. घर में भले बेलन टाइट रहे मगर अपना वेलेंटाइन डे तो 362 दिन मनता ही रहेगा..
मेरी जिज्ञासा अभी शांत नहीं हुई थी… मेरे लिये आज प्रेम पुजारी पाण्डेय नोएडा के आरुषि मर्डर केस की तरह सुपर सस्पेंस वाला व्यक्ति था. मैंने न चाहते हुए फिर पूछ ही लिया… अबे तूझे क्या जरुरत है गर्लफ्रेंड की. घर में बीवी है ना..
पाण्डेय ने इस बार पाकिस्तान के प्रति अमेरिकी व्यवहार की तरह अपना व्यवहार दिखाया. मानो अभी नेस्तनाबूद कर देगा मगर नेस्क्ट सेकेण्ड पूरी तरह पोलाइट हो गया.. तू साला उल्लू ही रहेगा. मालिक आज सोसाइटी में इज्जत उसी की है जिसके पास ज्यादा गर्लफ्रेंड्स हैं. जिसके पास जितनी गर्लफ्रेंड होंगी, उसके व्यवहार में उतनी ज्यादा कुशलता होगी. उतनी ही अट्रैक्टिव पर्सनॉलिटी हो जाएगी. जैसे अपने देश में पूंजीपति ही पूंजी को खिंचते हैं, वैसे गर्लफ्रेंड की संख्या बढ़ते ही और ज्यादा गर्लफ्रेंड्स बनती जाती हैं. क्योंकि आपके पास हुनर होता है. मैंने उन्हें नाराज नहीं कर सकता. अब मैं प्रपोज नहीं करता. सामने से प्रपोजल आता है तो ना भी नहीं कर पाता हूं.
मैंने अब अपनी ओर से एक स्टेटमेंट दे दिया.. अच्छा तो शायद इसीलिए लोग वेलेंटाइन डे को नयी गर्लफ्रेंड बनाने या उनसे मिलने के लिए बेकरार रहते हैं.
पाण्डेय ने टोका.. नहीं बे… एक्चुअली वेलेंटाइन डे अब बड़ी कंपनियों की एनुअल सेल की तरह है. वो जमाना गया जब कहा जाता था कि प्यार बिकता नहीं.. अब प्यार की सालाना सेल का नाम वेलेंटाइन डे है. अब देख कार्ड गिफ्ट की कंपनियां इसमें कमाती हैं. एक दिन की कमाई से नहीं पोसा रहा था तो वेलेंटाइन वीक का कान्सेप्ट निकाल लिया. सात दिन में रोज डे, किस डे, हग डे और न जाने कौन से डे मनाये जाते हैं. मोबाइल पर वैल्यू एडेड सर्विसेज कंपनियां भी वेलेंटाइन डे कपहले डेट कराने, चैट कराने, दोस्त बनाने के ऑफर देने लगती हैं. आज के लड़के-लड़कियां भी इसी दौरान कार्तिक के कुत्ते की तरह पगला जाते हैं और नये पार्टनर की तलाश में जेबें हलकी करते रहते हैं. बेटा, ये वेलेंटाइन डे एनुअल सेल है.. वैसे मैं चला घर क्योंकि अब देर हुई तो बीवी का शक यकीन में बदल जाएगा. हां, जाते-जाते एक शेर सुनता जा…
तिरछी निगाहे नाज पर कट-कट के मरता है.
कोई दामने आशिक की तरह फट-फट के मरता है.
मोहब्बत का करेंट एसी-डीसी दोनों
कोई सट-सट के मरता है, कोई हट-हट के मरता है.
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